संस्कृत-शब्दकोशः

संस्कृत-हिन्दीकोशः

संस्कृत विश्व की अनेक भाषाओं का आधार है । भारतीय उपमहाद्वीप में बोली जाने वाली भाषाओं की जननी भी है । संस्कृत जानने के लिए संस्कृत का शब्द ज्ञान आवश्यक है । शब्द ज्ञान के लिए सबसे सरल माध्यम शब्दकोश ही है । हिंदी भाषा के लिए संस्कृत के सबसे उपयुक्त शब्दकोश वामन शिवराम आप्टे का संस्कृत हिंदी कोश है ।

अतः प्रस्तुत ‘संस्कृत-शब्दकोशः’(App) में इस कोश को भी समावेश किया गया है । इस कोश का समावेश होने से भारतीय उपमहाद्वीप में सर्वाधिक संख्या में बोली जाने वाली हिंदी भाषा के जिज्ञासुओं को लाभ मिलेगा, यह हमारा विश्वास है । प्रस्तुत संस्करण मूलतः सन् १९६९ मैं प्रकाशित संस्कृत हिन्दी कोश के आधार पर संपादन किया गया है । इस कोश के निर्माण से संस्कृत जिज्ञासुओं के जिज्ञासा का समाधान हो पाएगा ऐसी हमारी आशा है । हमारे एक छोटे से प्रयास से जिज्ञासुओं को लाभ मिलेगा तो हम स्वयं को कृतार्थ समझेगें । शं करोतु शङ्करः ।

के.एन् स्वामी
काठमाण्डु, नेपाल

संकेत सूचि

अ० - अव्यय
अक० - अकर्मक
अलु० स० - अलुक् समास
अव्य० स० - अव्ययीभाव समास
आ० - आत्मनेपद
उदा० - उदाहरणतः
उप० स० - उपपद समास
उभ० - उभयपदी
कर्म० स० - कर्मधारय समास
त० स० - तत्पुरुष समास
तृ० त० - तृतीया तत्पुरुष समास
दे० - देखो
द्व० स० - द्वन्द्व समास
द्वि० क० - द्विकर्मक
द्वि० स० - द्विगु समास
द्वि० त० - द्वितीया तत्पुरुष समास
ष० त० - षष्ठी तत्पुरुष समास
न० स० - नञ् समास
तुल० - तुलनात्मक
ना० धा० - नामधातु
सम्प्र० - सम्प्रदान कारक
सम० - समस्त पद
तु० - तुलना करो
प्रेर० - प्रेरणार्थक
ज्यो० - ज्योतिष
उ० अ० - उत्तमावस्था
ए० व० - एक वचन
सा० वि० - सार्वनामिक (निर्देशक) विशेषण
वि० - विशेषण
बी० ग० - बीज गणित
क्रि० वि० - क्रिया विशेषण
वर्त० - वर्तमानकाल
भूत० - भूतकाल
प्रा० स० - प्रादि समास
न० ब० - नञ् बहुव्रीहि समास
न० त० - नञ् तत्पुरुष समास
पुं० - पुंल्लिंग
नपुं० - नपुंसकलिंग
स्त्री० - स्त्रीलिंग
सक० - सकर्मक
पृषो० - पृषोदरादित्वात्
पर० - परस्मैपद
ज्या० - ज्यामिति
कर्म० वा० - कर्म वाच्य
कर्तृ० वा० - कर्तृ वाच्य
ब० व० - बहुवचन
म० अ० - मध्यमावस्था
अ० पु० - अन्य पुरुष
म० पु० - मध्यम पुरुष
उ० पु० - उत्तम पुरुष
ब० स० - बहुव्रीहि समास
भवि० - भविष्यत्काल
इच्छा० - इच्छार्थक, सन्नन्त
भू० क० कृ० - भूतकालिक कर्मणि कृदन्त (क्त)
सं० कृ० - संभाव्य कृदन्त (तव्यत्)
वर्त्त० कृ० - वर्तमानकालिक कृदन्त (शत्रन्त वा शानजन्त)
विप० - विपरीतार्थक
करण० - करणकारक
कर्तृ० - कर्तृकारक
कर्म० - कर्मकारक
आलं० - आलंकारिक
वार्ति० - वार्तिक
व० - वैदिक
अने० पा० - नाना पाठान्तर
संबो० - संबोधन
यङ्० - यङ्लुङन्त
संबं० - संबंध
त० - तदेव
श० - शब्दशः
अधि० - अधिकरण कारक
उप० - उपसर्ग
भ्वा० - भ्वादिगण
अदा० - अदादिगण
जु० - जुहोत्यादिगण
स्वा० - स्वादिगण
दि० - दिवादिगण
तु० - तुदादिगण
क्र्या० - क्र्यादिगण
चु० - चुरादिगण
रु० - रुधादिगण
तना० - तनादिगण


संकेताक्षर-सूचि

अ० पु० - अग्नि पुराण
अ० श० - अन्यापदेश शतक
अ० सं० - अगस्त्य संहिता
अथर्व० - अथर्ववेद
अनर्घ० - अनर्घराघव
अन्न० - अन्नपूर्णाष्टक
अमर० - अमरकोश
अमरु० - अमरुशतक
अवि० - अविमारक
आनन्द० - आनन्द लहरी
आर्या० - आर्या सप्तशती
आश्व० - आश्वलायनसूत्र
ईश० - ईशोपनिषद्
उ० दू० - उद्धव दूत
उ० सं० - उद्धव संदेश
उणादि० - उणादि सूत्र
उत्त० - उत्तर रामचरित
ऋक्० - ऋग्वेद
एकार्थ० - एकार्थनाममाला
ऐत० उ० - ऐतरेय उपनिषद्
ऐत० ब्रा० - ऐतरेय ब्राह्मण
कठ० - कठोपनिषद्
कथा० - कथासरित्सागर
कनक० - कनकधारास्तव
कर्पूर० - कर्पूर मंजरी
कलि० - कलिविडंबन नीलकंठ दीक्षित कृत
कवि० - कविरहस्य
का० - कादम्बरी
कात्या० - कात्यायन
काम० - कामन्दकी नीति
काव्य० - काव्यप्रकाश
काव्या० - काव्यादर्श
काशि० - काशिकावृत्ति
कि० - किरातार्जुनीय
कीर्ति० - कीर्तिकौमुदी
कुमा० - कुमार संभव
कुव० - कुवलयानन्द
कृष्ण० - कृष्णकर्णामृत
केन० - केनोपनिषद्
कौ० अ० - कौटिल्य अर्थशास्त्र
कोश० - कोशकल्पतरु
कौशि० - कौशिकसूत्र
कौषी० - कौषीतकी उपनिषद्
ग० ल० - गंगा लहरी
घोषाल० - Ghosal's System of Revenue
चण्ड० - चण्ड कौशिक
गण० - गणरत्नमहोदधि-वर्धमान कृत
चन्द्रा० - चन्द्रालोक
चाण० - चाणक्य शतक
चात० - चातकाष्टक
चोल० - चोल चम्पू
चौर० - चौरपंचाशिका
छं० - छन्दोमंजरी
छा० - छान्दोग्योपनिषद्
जानकी० - जानकीहरण
जै० - जैमिनि सूत्र
जै० न्या० - जैमिनीय न्यायमाला विस्तर
ज्यो० - ज्योतिष
त० कौ० - तर्क कौमुदी
तारा० - तारानाथ वाचस्पत्यम्
तै० आ० - तैत्तिरीय आरण्यक
तै० उ० - तैत्तिरीय उपनिषद्
त्रिका० - त्रिकांड शेष
तै० सं० - तैत्तिरीय संहिता
तं० वा० - तंत्रवार्तिक
दाय० - दायभाग
दु० स० - दुर्गासप्तशती
दूत० - दूतवाक्यम्
दे० म० - देवी महात्म्य
नवरत्न० - नवरत्नमाला
ना० भा० - नारायण भाष्य
नागा० - नागानन्द
नाना० - नानार्थ मञ्जरी
नाभ० - नारायण भट्ट
नारा० - नारायणीय
निघ० - निघण्टु
नी० - नीतिसार
नीति० - नीति प्रदीप
नील० - नीलकण्ठ
नैष० - नैषध
पंच० - पंचतन्त्र
पञ्च० - पञ्चदशी
पञ्च० - पञ्चरात्रम्
पा० - पाणिनि की अष्टाध्यायी
पा० यो० - पातंजल योगशास्त्र
पुष्प० - पुष्पदन्त
प्रताप० - प्रतापरुद्रीय
प्रति० - प्रतिमा
प्रबोध० - प्रबोधचन्द्रोदय
प्रस० - प्रसन्नराघव
बं० शि० - बंगाल शिलालेख
बाल० - बालचरित
बाल० रा० - बालरामायण
बु० - बुद्ध साहित्य (बुद्धिष्ट लेख)
बु० च० - बुद्धचरितम्
बृ० उ० (बृहदा०) - बृहदारण्यक उपनिषद्
बृ० क० - बृहत् कथा
बृ० सं० - बृहत्संहिता-वराहमिहिर कृत
भ० पु० - भविष्योत्तर पुराण
भग० - भगवद्‌गीता
भट्टि० - भट्टिकाव्य
भर्तृ० - भर्तृहरिशतकम् १. शृंगार, २. नीति, ३. वैराग्य
भा० - भारत मञ्जरी
भा० प्र० - भावप्रकाश
भाग० - भागवत
भामि० - भामिनी विलास
भाषा० - भाषा परिच्छेद
भोज० - भोज चरित
म० ना० - महानारायण उपनिषद्
म० पु० - मत्स्य पुराण
मनु० - मनुस्मृति
मभा० (महाभा०) - महाभाष्य
महा० - महाभारत
महावीर० - महावीर चरित
मा० - मातंगलीला
मान० - मानसार
मार्क० - मार्कण्डेय पुराण
माल० - मालतीमाधव
मालवि० - मालविकाग्निमित्र
मी० सू० - मीमांसा सूत्र
मुंड० - मुंडकोपनिषद्
मुख० - मुखपञ्चशती
मुग्ध० - मुग्धबोध
मेघ० - मेघदूत
मृच्छ० - मृच्छकटिक
याज्ञ० - याज्ञवल्क्य स्मृति
याद० - यादवाभ्युदय
योग० - योगसूत्र
रत्ना० - रत्नावली
रघु० - रघुवंश
रस० - रसगंगाधर
रसम० - रसमञ्जरी
रा० - रामायण
रति० - रतिमंजरी
राज० - राजप्रशस्ति
राजत० - राजतरंगिणी
राम० - रामचरितम्
ललित० - ललित सहस्रनाम
वन० - वनस्पतिशास्त्र
वराह० - वराहमिहिर की बृहत्संहिता
वाज० - वाजसनेयि संहिता
वा० प० - वाक्‌पदीय
वास० - वासवदत्ता
वि० - विक्रमोर्वशीयम्
वि० पु० - विष्णु पुराण
विक्रम० - विक्रमांकदेवचरित
विश्व० - विश्व गुणादर्श चम्पू
वे० दे० - वेदान्त देशिका
वे० सा० - वेदान्त सार
वेणी० - वेणीसंहार
वेदपा० - वेदपादस्तव
वैज० - वैजयन्ती
श० - शकुन्तला नाटक
शंकर० - शंकर दिग्विजय
श० चि० - शब्दार्थ चिन्तामणि
शत० - शतपथ ब्राह्मण
शत श्लो० - शत श्लोकी
शार्ङ्ग० - शार्ङ्गधर
शब्द० - शब्दकल्पद्रुम
शाभा० - शारीर भाष्य
शालि० - शालिहोत्र
शि० - शिशुपालवध
शि० पु० - शिवपुराण
शिव० म० - शिवमहिम्न स्तोत्र
शिव० - शिव भारत
शिवानन्द० - शिवानन्द लहरी
शिशु० - शिशुपालवध
शुक्र० - शुक्रनीति
शु० - शुल्बसूत्र
शृंगार० - शृंगार तिलक
श्याम० - श्यामलादण्डक
श्रुत० - श्रुतबोध
श्वेत० (श्वेता०) - श्वेताश्वरोपनिषद्
सर० कं० - सरस्वती कण्ठाभरण
सुधा० - सुधालहरी
स्वप्न० - स्वप्नवासवदत्तम्
सर्व० - सर्वदर्शन संग्रह
सा० द० - साहित्य दर्पण
सां० का० - सांख्य कारिका
सा० प्र० - सांख्यप्रवचन भाष्य
सि० - सिद्धान्त कौमुदी
सि० मु० - सिद्धान्त मुक्तावली
सां० सू० - सांख्य सूत्र
सि० सं० - सिद्धान्तलेश संग्रह
सु० (सुश्रु०) - सुश्रुत
सुभा० - सुभाषित रत्नाकर
सुवासव० - सुबन्धु की वासवदत्ता
सुभाषित० - सुभाषितरत्नभाण्डागार
सू० सि० - सूर्य सिद्धान्त
सौ० - सौन्दर्य लहरी
हंस० - हंसदूत
हनु० - हनुमन्नाटक
हर० - हरविजय
हरि० - हरिवंशपुराण
हला० - हलायुध
हर्ष० - हर्षचरित
हि० - हितोपदेश
हेम० - हेमचन्द्र